हसनपुर पलवल (मुकेश वशिष्ट) :- (होडल) कोरोना महामारी की आड़ में बिजली के निजीकरण करने पर आमादा केन्द्र सरकार के खिलाफ 1 जून को देश के बिजली कर्मचारी व इंजीनियर काला दिवस मनाएंगे। फैसले की सफलता को लेकर आज यहां यूनिट प्रधान नरेन्द्र सौरौत की अध्यक्षता में आयोजित यूनिट कमेटी की बैठक में सर्व सम्मति से फैसला किया गया कि 1 जून को सभी सब यूनिटों में शारिरीक दूरी रखते हुए प्रदर्शन किए जायेंगे।
बैठक का संचालन यूनिट सचिव वेद्पाल तेवतिया ने किया। प्रदर्शन में सभी बिजली कर्मचारी काली पट्टी बांधकर बिजली निजीकरण के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करेंगे। बैठक में होडल, हथीन, हसनपुर व मिडक़ौला के चुने हुए पदाधिकारियों ने भाग लिया । यूनिट कमेटी की बैठक में बोलते हुए युनियन के प्रदेश उप महासचिव रमेश चन्द व जितेन्द्र तेवतिया ने बताया कि देश व प्रदेश में औद्योगिक व कृषि विकास में बिजली बोर्डों की अहम भूमिका रही है। रियायती दरों पर बिजली देने से ही देश में हरित क्रांति सम्भव हो पाई। आज जब सारी दुनिया कोविड-19 महामारी से कराह रही है, तब भारत के गोदामों में 50 मिलियन टन चावल व 27 मिलियन टन गेंहू का बफऱ स्टॉक उप्लब्ध है।
इस सब के बावजूद सरकार ने बिजली सुधार के नाम पर बिजली बोर्डों को तोड कर उनका निगमीकरण कर दिया। ज्यादातर कार्य या तो ठेके पर दे दिए या पूरे काम को ही आउटशोर्स कर दिया। ठेकेदारों व बड़े अधिकारियों की बेलगाम लूट के कारण् बिजली निगम भारी घाटे का शिकार होते चले गए । अब भारत सरकार ने कोरोना महामारी के बीच 17 अप्रैल, 2020 को बिजली संशोधन बिल 2020 को तैयार किया है, जिसके लिये केन्द्र सरकार ने सुझाव मांगे हैं। इस बिल के कानून बनने के बाद बिजली वितरण का लाइसेंस भी बड़े पूंजीपतियों को दिए जाएंगे। जिसके कारण बिजली के रेट बढेंगे। सरकार ने इस बिल को संसद में पारित होने से पहले ही गैरकानूनी तरीके से चंडीगढ़ सहित सभी केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू कर दिया है। जबकि चंडीगढ़ में तो लाईनलॉस 9-10 प्रतिशत के बीच है, जबकि रिवेन्यू रिकवरी सौ फीसदी है।
उन्होने कहा कि सरकारी कम्पनियां जहां जनकल्याण के लिए काम करती हैं, वहीं निजी कम्पनियां मुनाफे के लिए काम करती हैं।
सरकार का यह प्रचार बिल्कुल भ्रामक है कि निजीकरण से बिजली सस्ती हो जाएगी। मुम्बई इसका ज्वलंत उदाहरण है। उन्होने बताया कि देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने इस संविधान विरोधी, किसान, गरीब उपभोक्ता व कर्मचारी विरोधी बिजली निजीकरण के प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल के ड्राफ्ट को वापिस लेने की मांग को लेकर 1 जून को देश भर में काला दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया है। जिसके अनुसार बिजली कर्मचारी एवं इन्जीनियर काले बिल्ले व काली पट्टी बांध कर सभी कार्यालयों, सब स्टेशन व उत्पादन केंद्रों पर प्रदर्शन करेंगे।
बैठक में यूनियन नेता उदयवीर सौरौत, शेरसिंह, नरेश कुमार, अमर सिंह, योगेश शर्मा, प्रेम सहरावत, रमेश शर्मा, लख्मी चन्द, प्रदीप सैनी, मनीराम रावत, रणसिंह, नरेश रावत, लेखराज, कुलदीप, पवन कुमार ने अपने विचार व्यक्त किए।
No comments:
Post a Comment